न्यायपालिका में कृत्रिम बुद्धिमत्ता [ AI ]: भारतीय न्याय व्यवस्था में तकनीकी क्रांति की नई शुरुआत |
भारत की अदालतें अब सिर्फ कानून नहीं, तकनीक से भी संचालित होंगी। AI और ई-कोर्ट्स के इस युग में न्याय अब होगा तेज़, पारदर्शी और सबके लिए सुलभ।
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| Artificial Intelligence in Indian Supreme Court |
नई दिल्ली। भारत की न्यायपालिका आज इतिहास के एक अहम मोड़ पर खड़ी है — जहाँ तकनीक और न्याय का संगम एक नए युग की शुरुआत कर रहा है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) यानी AI अब अदालतों के कामकाज का हिस्सा बन चुकी है। सुप्रीम कोर्ट से लेकर जिला न्यायालयों तक, AI-आधारित उपकरण मुकदमों के प्रबंधन, दस्तावेज़ विश्लेषण और निर्णय प्रक्रिया को आधुनिक बना रहे हैं।
📊 भारत की न्यायपालिका में AI की वर्तमान स्थिति
भारत में वर्तमान में लगभग 5 करोड़ से अधिक मुकदमे लंबित हैं। पारंपरिक न्यायिक प्रणाली इस दबाव से जूझ रही है। इसी चुनौती से निपटने के लिए सरकार ने ई-कोर्ट्स प्रोजेक्ट फेज़ III की शुरुआत की है, जिसमें ₹7,210 करोड़ का निवेश किया गया है।
इस परियोजना का उद्देश्य है — Machine Learning (ML), Natural Language Processing (NLP) और Optical Character Recognition (OCR) जैसी तकनीकों के माध्यम से मुकदमों की सुनवाई को डिजिटल बनाना।
आज देश के नौ राज्यों के 4,000 से अधिक न्यायालय पहले ही AI-सक्षम टूल्स का उपयोग कर रहे हैं।

How AI is Used in India Judiciary
⚙️ न्यायिक प्रणाली में AI के मुख्य उपयोग

1️⃣ मुकदमों का प्रबंधन और प्राथमिकता निर्धारण
AI अब केस मैनेजमेंट में “smart scheduling” कर रहा है — यह मुकदमों की प्राथमिकता तय करता है, सुनवाई में देरी के कारणों का अनुमान लगाता है और न्यायाधीशों के समय का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करता है।
2️⃣ कानूनी अनुसंधान और दस्तावेज़ विश्लेषण
AI टूल्स सेकंडों में संबंधित मामलों, निर्णयों और विधिक तर्कों की खोज कर सकते हैं। इससे न्यायाधीशों और वकीलों दोनों का काम आसान हो गया है।
3️⃣ स्वचालित प्रतिलेखन (Transcription)
Adalat AI, सुप्रीम कोर्ट के वकील उत्कर साकेना और AI इंजीनियर अरग्य भाचर द्वारा बनाया गया प्लेटफॉर्म, अब अदालत की कार्यवाही को real-time में ट्रांसक्राइब करता है। इससे परंपरागत stenographer की भूमिका को तकनीक ने आधुनिक रूप दे दिया है।
4️⃣ भाषा की पहुंच (Language Accessibility)
AI-संचालित अनुवाद टूल अब अंग्रेज़ी में दिए गए न्यायिक निर्णयों को क्षेत्रीय भाषाओं में बदल रहे हैं, जिससे न्याय आम नागरिक तक पहुँच सके।
🧠 मुकदमों के नतीजों का अनुमान और न्यायिक पारदर्शिता
AI मॉडल अब पुराने केस डेटा का विश्लेषण करके संभावित निर्णयों और जोखिमों का अनुमान लगाने में सक्षम हैं। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने तो एक जमानत मामले में ChatGPT से भी राय ली थी — यह भारतीय न्याय में तकनीक के बढ़ते प्रभाव का उदाहरण है।
💰 सरकार का निवेश और भविष्य की दृष्टि
भारत सरकार ने AI और Blockchain Integration के लिए 2027 तक ₹53.57 करोड़ निर्धारित किए हैं। इससे “smart judicial ecosystem” का निर्माण होगा — जहाँ सारे केस डिजिटल, पारदर्शी और समयबद्ध होंगे।
⚖️ चुनौतियाँ और नैतिक चिंताएँ
- AI के साथ सबसे बड़ी चुनौती है — Bias और Data Privacy।
- अगर एल्गोरिद्म पुराने पूर्वाग्रहों पर आधारित होंगे, तो निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है।
- इसीलिए, केरल उच्च न्यायालय ने अपनी AI नीति में “अविवेकी उपयोग” के खिलाफ चेतावनी दी है।
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| Challenges of AI in the Indian Judicial System |
🔮 भारतीय न्याय में AI का भविष्य
मुख्य न्यायाधीश भूषण आर. गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत का मानना है कि भविष्य की न्यायिक प्रणाली “human + machine” सहयोग पर आधारित होगी।
AI का उद्देश्य न्यायिक विवेक को बदलना नहीं, बल्कि उसे सशक्त बनाना है।
“प्रौद्योगिकी को मानवीय बुद्धिमत्ता की discernment को सशक्त बनाना चाहिए, उसके स्थान पर नहीं।” — Justice सूर्य कांत
🏁 निष्कर्ष
भारत की न्यायपालिका में AI का समावेश केवल तकनीकी नहीं, बल्कि न्यायिक सुधार का ऐतिहासिक कदम है।
यह न्यायिक प्रक्रिया को पारदर्शी, तेज़ और सुलभ बना रहा है।
भविष्य में, जब तकनीक और मानवीय विवेक मिलकर काम करेंगे — तब भारत एक ऐसी न्याय प्रणाली हासिल करेगा जो न केवल डिजिटल बल्कि “ethical and intelligent” भी होगी।
Updated on: November 14, 2025
By Pathprerna News Desk
Source: Compiled and analyzed by Pathprena Editorial Desk from official government documents, Press Information Bureau (PIB), The Hindu, and The Indian Express reports
Category - Law And Technology
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